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Dec 14, 2010

मुस्किल है अपना मेल प्रिय…

मुस्किल है अपना मेल प्रिय, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

तुम एम्. ऐ. फर्स्ट डिविजन हो मैं हुआ मेट्रिक फेल प्रिये
मुस्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये.

तुम फौजी अफसर की बेटी हो मैं तो किसान का बेटा हूँ
तुम रबडी खीर मलाई हो, मैं तो सत्तू सपरेटा हूँ
तुम ऐ.सी. घर में रहती हो मैं पेड़ के निचे लेटा हूँ
तुम नयी मारुती लगती हो मैं तो स्कूटर लंबरेटा हूँ

इस कदर अगर हम छुप छुप कर आपस में प्रेम बढायेंगे
तो एक रोज़ तेरे डैडी अमरीश पूरी बन जायेंगे
सब हड्डी पसली तोड़ मुझे भिजवा देंगे वो जेल प्रिये
मुस्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये.

तुम अरब देश की घोडी हो, मैं तो गधे की नाल प्रिये
तुम दिवाली की बोनस हो मैं भूखों की हड़ताल प्रिये
तुम हीरे जडी तस्तरी हो मैं एल्यूमिनियम की थाल प्रिये
तुम चिक्केन सूप बिरयानी हो मैं कंकड़ वाली दाल प्रिये
तुम हिरन चौकडी भारती हो मैं तो कछुए की चाल प्रिये
तुम चन्दन वन की लकडी हो मैं तो बबूल की चाल प्रिये
मैं पके आम सा लटका हूँ मत मार मुघे गुलेल प्रिये
मुस्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये.

मैं सनि देव जैसा कुरूप तुम कोमल कंचन काया हो
मैं तन से मन से कांशी राम तुम महा चंचला माया हो
तुम निर्मल पवन गंगा हो, मैं जलता हुआ पतंगा हूँ
तुम राज घाट की शांति मार्च, मैं हिन्दू-मुस्लिम दंगा हूँ
तुम हो पूनम का ताजमहल, मैं काली गुफा अजंता की
तुम हो वरदान वि़धाता का, मैं गलती हूँ भगवन्ता की
तुम जेट विमान की शोभा हो, मैं बस की ठेलम ठेल प्रिये
मुस्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये.

तुम नयी विदेशी मिक्सी हो, मैं पत्थर का सिलबट्टा हूँ
तुम ऐ.के. ४७ जैसी, मैं तो एक देशी कट्टा हूँ
तुम चतुर राबड़ी देवी सी, मैं भोला भाला लालू हूँ
तुम मुक्त शेरनी जंगल की, मैं चिडियाघर का भालू हूँ
तुम व्यस्त सोनिया गाँधी सी, मैं वी.पी. सिंह सा खाली हूँ
तुम हंसी माधुरी दिक्षित की, मैं पुलिसमैन की गाली हूँ
कल जेल अगर हो जाये मुझे, दिलवा देना तुम बेल प्रिये
मुस्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये.

मैं ढाबे के ढांचे जैसा, तुम पांच सितारा होटल हो
मैं महुए का देशी ठर्रा, तुम रेड लेवल की बोतल हों
तुम चित्रहार का मधुर गीत, मैं कृषि दर्शन की झाडी हूँ
तुम विश्व सुंदरी सी कमल, मैं तेलिया छाप कबाडी हूँ
तुम सोनी का मोबाइल हों, मैं टेलीफ़ोन वाला हूँ चोंगा
तुम मछली मानसरोवर की, मैं सागर तट का हूँ घोंघा
दस मंजिल से गिर जाऊंगा, मत आगे मुझे धकेल प्रिये
मुस्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये.

तुम सत्ता की महारानी हों, मैं विपक्ष की लाचारी हूँ
तुम ममता जयललिता हों, मैं कुआँरा अटल बिहारी हूँ
तुम तेंदुलकर की सतक प्रिये, मैं फ़ोलोआन की पारी हूँ
तुम गेट्ज, मटिज, कोरोल्ला हों, मैं लेलैंड की लौरी हूँ
रेफरी ही मुझको रहने दो, मत खेलो मुझसे खेल प्रिये
मुस्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये.

मैं सोच रहा हूँ रहे हैं कब से, श्रोता मुझको झेल प्रिये
मुस्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये..

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