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Jan 20, 2011

कुछ तमन्नाएं जीना सिखा देती है.

कुछ तो जीते है जन्नत की तमन्ना लेकर,
कुछ तमन्नाएं जीना सिखा देती है.
हम किस तमन्ना के सहारे जिए,
ये ज़िन्दगी रोज़ एक तमन्ना बढा देती है.
तेरी तम्मना में इस कदर खोये थे,
ना जगे थे हम ना हम सोये थे.
पुंछ लेना खुदा से अगर यकीन ना हो तेरी आरजू मैं हम हर शाम रोये थे
अजनबी बनके कोई आया था,ऐसा लगा जैसे वो मेरा साया था,
लोग कहते थे रौशनी है मेरे घर में,उसने तों दील में दिया जलाया था..

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